
अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन किया जाता है। पुत्रवती महिलाओं के लिए इस व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन सभी माताएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और सायंकाल के समय में तारों के निकल आने पर अहोई माता का पूजन करती हैं।
उससे पहले अहोई माता का गेरु आदि के द्वारा किसी मोटे वस्त्र पर चित्र बनाया जाता है अथवा उसे सायंकाल में पूजा के समय दीवाल पर लगा दिया जाता है। अहोई माता के चित्रांकन में अधिकतर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है।
उसी के पास सेई तथा उसके बच्चों की आकृतियां बनाई जाती हैं। रात में तारों के निकल आने पर इन्हीं अहोई माता की विधिवत पूजा की जाती है। इसके पश्चात माताएं अपने – अपने बच्चों की सेहत के लिए कामनायें करती हैं। इस व्रत के प्रभाव से सभी माताओं की संतानें बहुत ही स्वस्थ एवं सुरक्षित रहती है।
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अहोई अष्टमी पूजन विधि / Ahoi Ashtami Vrat Pujan Vidhi in Hindi PDF
- इस दिन माताओं अथवा महिलाओं को सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए।
- अहोई माता की पूजा के लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाना चाहिए।
- माता का पूजना संध्याकाल में करें।
- पूजा के लिए अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखकर उस पर जल से भरा कलश स्थापित करें।
- रोली-चावल से अहोई माता की पूजा करें।
- अहोई माता को भोग लगाने के लिए महिलाएं दही, आटा, चीनी या गुड़ मिला कर मीठे पुए बनायें।
- कहीं-कहीं आटे के हलवे का भी भोग लगाया जाता है।
- रोली से कलश पर स्वास्तिक बनाया जाता है।
- सात टीके लगाए जाते हैं और फिर हाथों में गेहूं के सात दाने ले कर महिलाएं, माताएं अहोई व्रत कथा को पढ़ें व सुनें।
- पूजा व व्रत कथा सुनने के बाद कलश के जल से तारों को अर्घ्य अर्पित करें।
- अहोई माता की विधिवत पूजा करने के बाद स्याहु माला धारण की जाती है।
- स्याहु की माला में चांदी की मोती और अहोई माता की लॉकेट होती है।
- पूजा के बाद महिलाएं बायना निकालती हैं और अपनी सास या पंडित को देकर आशीर्वाद लेती हैं।
- पूजन के अंत में पारण किया जाता है।
अहोई अष्टमी पूजन मंत्र
॥ॐ उमादेव्यै नमः॥
अहोई अष्टमी के व्रत में माता पार्वती की पूजा का भी विशेष महत्वता है इसीलिए इस मंत्र (ॐ उमादेव्यै नमः) का जाप अवश्य करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करने से माता पार्वती शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं एवं व्रत करने वाली माताओं की संतानों पर अपनी विशेष कृपा करती हैं। इसीलिए जो भी माताएं अहोई अष्टमी व्रत करें वे पूजा के समय इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक अवश्य जप करें।
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