
यदि आप शरद पूर्णिंमा व्रत कथा PDF पढ़ना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल के द्वारा न केवल आप उसे पढ़ सकते हैं बल्कि फ्री में डाउनलोड भी कर सकते हैं। हिन्दू वैदिक ज्योतिष में आश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। पौरणिक कथाओं के अनुसार शरद पूर्णिंमा की रात्रि में में चन्द्रमा अमृत वर्षा करता है। इसलिए भारत सहित अन्य देशों में निवास कर रहे हिन्दू इस अवसर पर गाय के दूध व चावल की खीर बनाकर उसे चन्द्रमा के प्रकाश में रात्रि में रख देते हैं।
प्रातःकाल इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। कहा जाता है कि इस खीर को खाने पर व्यक्ति का मुखमण्डल चन्द्र की भाँती कान्तिमय व उज्जवल हो जाता है तथा इसके अमरत्व के प्रभाव से विभिन्न प्रकार के रोग दूर होते हैं। चन्द्रदेव व्यक्ति के मन को नियंत्रित व प्रभावित करते हैं। अतः चन्द्रदेव की आशीर्वाद से इस दिन व्रत व पूजन करने से आपके मानसिक कष्टों का भी निवारण होता है।
Contents
शरद पूर्णिमा व्रत कथा | Sharad Purnima Vrat Katha PDF Details
PDF Name | शरद पूर्णिमा व्रत कथा | Sharad Purnima Vrat Katha PDF |
No. of Pages | 4 |
PDF Size | 0.60 MB |
Language | Hindi |
Category | Religion & Spirituality |
Source | quickpdf.in |
Download Link | Given below |
Downloads | 26 |
शरद पूर्णिमा व्रत कथा कहानी / Sharad Purnima Vrat Katha Hindi PDF
एक कथा के अनुसार एक साहुकार को दो पुत्रियां थीं। दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। इसका परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी।उसने पंडितों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी, जिसके कारण तुम्हारी संतान पैदा होते ही मर जाती है। पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है।
उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया। बाद में उसे एक लड़का पैदा हुआ। जो कुछ दिनों बाद ही फिर से मर गया। उसने लड़के को एक पाटे (पीढ़ा) पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया। फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पाटा दे दिया। बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका घाघरा बच्चे का छू गया।बच्चा घाघरा छूते ही रोने लगा। तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता। तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया।
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#व्रत कथा