
यदि आप तुलसी शालिग्राम विवाह कथा / Tulsi Shaligram Vivah katha PDF in Hindi इंटरनेट पर ढूंढ रहे हैं, तो इस वैबसाइट पर आपका स्वागत है। सनातन धर्म में तुलसी को साधारण वृक्ष नहीं माना जाता अपितु उन्हें माता का स्थान देकर उनकी पूजा – उपासना की जाती है। लगभग हर हिन्दू के घर में आपको माता तुलसी का दर्शन हो जाएगा। तुलसी माता का पूजन अकेले नहीं किया जाता, उनके साथ सदैव सालिग्राम जी का भी पूजन किया जाता है।
सालिग्राम जी एक शीला के रूप में होते हैं, जिन्हें तुलसी जी के घेरे (गमले) में उनके समीप विराजमान किया जाता है। जिस घर में तुलसी – शालिग्राम जी का साथ में पूजन किया जाता है, उस घर में सदैव सुख – सौभाग्य का वास होता है एवं शांति का वातावरण बना रहता है। आप नीचे दिये लिंक से तुलसी शालिग्राम विवाह कथा / Tulsi Shaligram Vivah katha PDF in Hindi में डाउनलोड कर सकते हैं।
तुलसी शालिग्राम विवाह की कथा | Tulsi Shaligram Vivah Story in Hindi
PDF Name | तुलसी शालिग्राम विवाह कथा | Tulsi Shaligram Vivah Katha PDF |
No. of Pages | 5 |
PDF Size | 355 KB |
Language | Hindi |
Category | Religion & Spirituality |
Source | quickpdf.in |
Download Link | Available ✔ |
Downloads | 1900 |
तुलसी शालिग्राम विवाह की कहानी | Tulsi Shaligram Vivah Ki Kahani PDF
- प्राचीन काल में जलंधर नामक राक्षस ने चारों तरफ़ बड़ा उत्पात मचा रखा था। वह बड़ा वीर तथा पराक्रमी था। उसकी वीरता का रहस्य था, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। उसी के प्रभाव से वह विजयी बना हुआ था। जलंधर के उपद्रवों से परेशान देवगण भगवान विष्णु के पास गए तथा रक्षा की गुहार लगाई।
- उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने का निश्चय किया। उन्होंने जलंधर का रूप धर कर छल से वृंदा का स्पर्श किया। वृंदा का पति जलंधर, देवताओं से पराक्रम से युद्ध कर रहा था लेकिन वृंदा का सतीत्व नष्ट होते ही मारा गया। जैसे ही वृंदा का सतीत्व भंग हुआ, जलंधर का सिर उसके आंगन में आ गिरा।
- जब वृंदा ने यह देखा तो क्रोधित होकर जानना चाहा कि फिर जिसे उसने स्पर्श किया वह कौन है। सामने साक्षात विष्णु जी खड़े थे। उसने भगवान विष्णु को शाप दे दिया, ‘जिस प्रकार तुमने छल से मुझे पति वियोग दिया है, उसी प्रकार तुम्हारी पत्नी का भी छलपूर्वक हरण होगा और स्त्री वियोग सहने के लिए तुम भी मृत्यु लोक में जन्म लोगे।’ यह कहकर वृंदा अपने पति के साथ सती हो गई। वृंदा के शाप से ही प्रभु श्रीराम ने अयोध्या में जन्म लिया और उन्हें सीता वियोग सहना पड़ा़। जिस जगह वृंदा सती हुई वहां तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ।
तुलसी शालिग्राम विवाह की अन्य कथा PDF | Tulsi Shaligram Vivah Ki Katha PDF
एक अन्य कथा में आरंभ यथावत है लेकिन इस कथा में वृंदा ने विष्णु जी को यह शाप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है अत: तुम पत्थर के बनोगे। यह पत्थर शालिग्राम कहलाया। विष्णु ने कहा, ‘हे वृंदा! मैं तुम्हारे सतीत्व का आदर करता हूं लेकिन तुम तुलसी बनकर सदा मेरे साथ रहोगी। जो मनुष्य कार्तिक एकादशी के दिन तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी।’ बिना तुलसी दल के शालिग्राम या विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। शालिग्राम और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का ही प्रतीकात्मक विवाह माना जाता है।
तुलसी विवाह पूजा विधि | Tulsi Vivah Vidhi PDF in Hindi
- तुलसी विवाह के दिन सूर्योदय से पूर्व ही उठ कर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करें तथा स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- तत्पश्चात तुलसी जी को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं एवं उन्हें श्रृंगार की सभी वस्तुएं अर्पित करें।
- श्रृंगार अर्पण करने के पश्चात शालिग्राम जी को तुलसी जी के समक्ष स्थापित करें।
- तदोपरान्त पंडित जी के द्वारा तुलसी – शालिग्राम का पूर्ण विधि – विधान से विवाह कराया जाता है।
- विवाह के समय पुरुष को शालिग्राम तथा स्त्री को तुलसी जी को हाथ में लेकर सात फेरे कराने चाहिए।
- विवाह संपन्न होने के बाद तुलसी जी की आरती भी करनी चाहिए।
तुलसी माता की आरती | Tulsi Mata Ki Aarti PDF
सब जग की सुख दाता
सब योगों से ऊपर
सब रोगों से ऊपर
रज से रक्ष कर भव त्राता
जय जय तुलसी माता
बटु पुत्री है श्यामा
सूर बल्ली है ग्राम्या
मैया सूर बल्ली है ग्राम्या
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे
सो नर तर जाता
जय जय तुलसी माता
हरि के शीश विराजत
त्रिभुवन से हो वंदित
मैया त्रिभुवन से हो वंदित
पतित जनों की तारिणी
पतित जनों की तारिणी
तुम हो विख्याता
जय जय तुलसी माता
लेकर जन्म विजन में
आई दिव्य भवन में
आई दिव्य भवन में
मानव लोक तुम्हीं से
मानव लोक तुम्हीं से
सुख-संपति पाता
जय जय तुलसी माता
हरि को तुम अति प्यारी
श्याम वर्ण सुकुमारी
श्याम वर्ण सुकुमारी
प्रेम अजब है उनका
प्रेम अजब है उनका
तुमसे कैसा नाता
जय जय तुलसी माता
सब जग की सुख दाता
सब रोगों से ऊपर
सब भोगो के ऊपर
रज से रक्ष करके भव त्राता
ॐ जय जय तुलसी माता
ॐ जय जय तुलसी माता
ॐ जय जय तुलसी माता
#व्रत कथातुलसी शालिग्राम विवाह कथा / Tulsi Shaligram Vivah katha PDF in Hindi अभी डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें।
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